केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं- कैबिनेट मंत्री राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री। इनमें कैबिनेट मंत्री सबसे पावरफुल होता है। वो सीधे पीएम को रिपोर्ट करता है। आपको बताते हैं कि कैबिनेट मंत्री राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री में क्या अंतर होता है।

कैसा होता है केंद्रीय मंत्रिमंडल?

केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं। पहले नंबर पर आते है कैबिनेट मंत्री। इसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री आते हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री के पास सबसे ज्यादा शक्तियां होती हैं। आपको बताते हैं कि कैबिनेट, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री किस तरह काम करते हैं।

कैबिनेट मंत्री

सबसे योग्य सांसदों को कैबिनेट मंत्री बनाया जाता है। इनके पास अपने मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी होती है। कैबिनेट मंत्री के पास एक से अधिक मंत्रालय भी हो सकते हैं। हर हफ्ते कैबिनेट की बैठक होती है। बैठक में कैबिनेट मंत्री का शामिल होना अनिवार्य होता है। सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट की बैठक में लेती है।

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

इन्हें जूनियर मंत्री कहा जाता है। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सीधे पीएम को ही रिपोर्ट करते हैं। इन्हें जो मंत्रालय दिया जाता है, उसकी जिम्मेदारी इन्हीं के पास होती है। ये कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं और ना ही कैबिनेट मंत्री के प्रति इनकी जवाबदेही होती है।

राज्यमंत्री

कैबिनेट मंत्री के सहयोग के लिए राज्यमंत्री बनाए जाते हैं। ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। आमतौर पर कैबिनेट मंत्री के नीचे एक या दो राज्यमंत्री होते हैं।

कितनी मिलती है सैलरी?

कैबिनेट मंत्री को हर महीने 1,00,00 रुपये तनख्वाह मिलती है। इसके अलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के लिए 70,00 रुपये, कार्यालय भत्ता के लिए 60,00 रुपये और सत्कार भत्ता के लिए 2,000 रुपये मिलते हैं। वहीं, राज्यमंत्रियों को 1,000 रुपये रोजाना सत्कार भत्ता मिलता है। इसके अलावा उन्हें यात्रा भत्ता या यात्रा सुविधाएं, रेल यात्रा सुविधाएं, आवास, टेलीफोन सुविधाएं भी दी जाती हैं।

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