भारत के उत्तर-पूर्व हिस्से में बसा बिहार राज्य कई वजहों से चर्चा में रहता है. हर साल 22 मार्च को बिहार राज्य की स्थापना के मौक़े पर ‘बिहार दिवस’ मनाया जाता है. राज्य सरकार ने इस दिन को सरकारी छुट्टी भी घोषित किया है. बिहार अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए भी मशहूर है. राज्य की ग़रीबी और पिछड़ापन भी यहां की बड़ी समस्या है.

हम आपको ये बता रहे हैं कि बिहार के बारे में गूगल पर क्या सर्च किया जाता है और जानें उन सवालों के जवाब क्या हैं?

Contents

बिहार राज्य कब बना?

ब्रिटिश राज के दौरान बिहार अलग राज्य न होकर बंगाल का हिस्सा था.

लंबी मांग के बाद ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में बिहार (आज के ओडिशा और झारखंड) को बंगाल से विभाजित कर एक राज्य बनाने की घोषणा की.

तब 22 मार्च 1912 को बिहार को बंगाल से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया था.

बाद में 1935 में ओडिशा (उस वक़्त उड़ीसा) को बिहार से अलग एक नए प्रांत का दर्ज़ा दिया गया.

फ़िर 15 नवंबर 2000 को बिहार के दक्षिण हिस्से को अलग कर झारखंड के तौर पर एक नया राज्य बनाया गया था.

बिहार के पहले मुख्यमंत्री कौन थे?

बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह थे. वो 1946 से 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे.

श्रीकृष्ण सिंह का जन्म बिहार के मुंगेर ज़िले में हुआ था. उनको श्री बाबू या बिहार केसरी के नाम से भी जाना जाता है.

श्री कृष्ण सिंह पेशे से वकील थे. उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी के आंदोलन में भी हिस्सा लिया था.

बिहार में कितनी लोकसभा सीटें हैं?

लोकसभा, संसद

बिहार में मौजूदा समय में 40 लोकसभा सीटें हैं.

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 6 और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.

बिहार में कितनी विधानसभा सीटें हैं?

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. मौजूदा समय में विधानसभा में राष्ट्रीय जनता सबसे बड़ी पार्टी है. जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी है.

नीतीश कुमार कब से बिहार के मुख्यमंत्री हैं?

Nitish Kumar, नीतीश कुमार

नीतीश कुमार साल 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.

2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी जेडीयू के बुरे प्रदर्शन के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा देकर जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था.

फ़रवरी 2015 में जीतन राम मांझी को हटाकर नीतीश कुमार फिर से बिहार मुख्यमंत्री बने. उसके बाद से नीतीश कुमार लगातार बिहार में सीएम के पद पर हैं.

बिहार क्यों प्रसिद्ध है?

बुद्ध

बिहार प्राचीन समय से बौद्ध और जैन धर्म के केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध है.

बिहार के कई इलाक़े का ज़िक्र भारत के प्राचीन धर्म-ग्रंथों में भी मिलता है.

रामायण की पात्र सीता के जन्म का उल्लेख जिस इलाक़े में है उसे आज के बिहार के सीतामढ़ी में बताया जाता है.

इसके अलावा चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक भी बिहार से ही ताल्लुक रखते हैं.

बिहार के बोधगया में गौतम बुद्ध को निर्वाण यानी ज्ञान प्राप्त हुआ था.

जैन धर्म के संस्थापक महावीर जैन का जन्म आज के वैशाली ज़िले के कुण्डग्राम में हुआ था.

महावीर जैन को बिहार के नालंदा ज़िले के पावापुरी में मोक्ष (निधन) प्राप्त हुआ था.

बुद्ध और महावीर दोनों की कर्मभूमि बिहार ही रही है. इस तरह से बिहार दो धर्मों की जन्मस्थली भी है.

पटना साहिब क्यों प्रसिद्ध है?

पटना साहिब का हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा

पटना साहिब को हरमिंदर साहिब गुरुद्वारे के लिए जाना जाता है.

यह जगह सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के जन्मस्थल के तौर पर सिखों के लिए पवित्र स्थान है.

हरमिंदर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था.

गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में 22 दिसंबर 1666 को हुआ था.

विष्णुपद मंदिर कहां है और क्यों प्रसिद्ध है?

विष्णुपद मंदिर

विष्णुपद मंदिर बिहार के गया ज़िले मौजूद है.

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ यहां भगवान विष्णु पद यानी पैरों के निशान हैं.

पिंड दान

गया में फल्गू नदी के किनारे पितरों के श्राद्ध कर्म (पिंड दान) कर विष्णुपद मंदिर में दर्शन की परंपरा है.

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में गया में पिंड दान करने पितरों (पूर्वजों) को मोक्ष मिलता है. इसलिए यहां हर साल देशभर से बड़ी संख्या में लोग पिंड दान के लिए आते हैं.

पटना का गोलघर किसने बनवाया है?

गोलघर

बिहार की राजधानी पटना में मौजूद गोलघर को बनाने की योजना अंग्रेज़ गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने तैयार की थी.

साल 1770 में इलाक़े में अकाल पड़ने से लाखों लोगों की मौत हो गई थी.

उसके बाद अंग्रेज़ सैनिकों के लिए अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए गोलघर की योजना बनाई गई थी.

गोलघर साल 1786 में बनकर तैयार हुआ था.

बिहार का मतलब क्या होता है?

विहार (नालंदा)

बिहार मूल रूप से ‘विहार’ शब्द से बना है.

एनसाइक्लोपिडिया ब्रिटैनिका के मुताबिक़ ‘विहार’ बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए बनाया जाता था.

बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र होने के कारण बिहार में कई सारे विहार बनवाए गए थे.

इसी ‘विहार’ से राज्य का नाम ‘बिहार’ पड़ा.

बिहार को ‘बिहार’ नाम किसने दिया?

बिहार बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र रहा है, इसलिए इस इलाक़े में बहुत से ‘विहार’ थे. बारहवीं शताब्दी में आए मुस्लिम शासकों ने विहार की वजह से ‘बिहार’ नाम दिया था.

बिहार का पुराना नाम क्या है?

बिहार का पुराना नाम ‘मगध’ है. आज के बिहार का ज़्यादातर भाग पुराने मगध साम्राज्य के अंदर आता था.

मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह (राजगीर) थी.

बाद में अजातशत्रु के बेटे उदयन ने पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया था.

सम्राट अशोक मगध के सबसे प्रसिद्ध शासकों में एक थे.

मगध साम्राज्य के संस्थापक कौन थे?

अशोक स्तंभ, वैशाली, बिहार

मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले पहले शासके के तौर पर पुराणों में बृहद्रथ वंश का ज़िक्र है.

बृहद्रथ के बाद उनके बेटे जरासंध मगध के शासक बने.

महाभारत की कथाओं में इसी जहासंध के मारे जाने का ज़िक्र है.

जरासंघ ने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया था.

इसके बाद मगध में प्रद्योत वंश ने शासन किया था.

प्रद्योग वंश के शासन को शिशुनाग वंश ने ख़त्म किया था और उसके बाद नंद वंश का शासन स्थापित हुआ.

मगध के शक्तिशाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक बिम्बिसार (544-492 ईसा पूर्व) को माना जाता है.

वह हर्यक से सम्बन्धित थे. हर्यक वंश शिशुनागवंश से ही जुड़ा हुआ था.

चंद्रगुप्त मौर्य कौन थे?

क़रीब ढाई हज़ार साल पहले नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को मगध की गद्दी से हटाकर चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी.

चंद्रगुप्त मौर्य को भारत का पहला चक्रवर्ती सम्राट माना जाता है. यानी ऐसा राजा जिसका शासन चक्र की तरह हर दिशा में दूर-दूर तक फैला हो.

आज ये भी पढ़ाया जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य आज के अफ़ग़ानिस्तान की सीमा तक फ़ैला था. हालांकि इसे लेकर इतिहासकारों की राय भिन्न है.

बिहार

चाणक्य का बिहार से क्या संबंध है?

चाणक्य का वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था.

चाणक्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी और वहां पर शिक्षक भी बने थे.

वो मगध शासक चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु, सलाहकार और मंत्री थे.

चाणक्य मूल रूप से मगध के रहने वाले थे. उनके पिता का नाम चणक था.

कुटिल होने की वजह से उनका नाम कौटिल्य भी पड़ा था.

कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’ दुनियाभर में राजनीति और अर्थव्यवस्था जुड़ी मशहूर पुरानी पुस्तकों में से एक है.

सम्राट अशोक का एक चित्र

सम्राट अशोक कौन थे?

चंद्रगुप्त मौर्य के बाद उनके बेटे बिंदुसार मगध की गद्दी पर बैठे.

अशोक बिंदुसार के बेटे थे और प्राचीन भारत के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे.

अशोक ने 261 ईसा पूर्व में कलिंग (ओडिशा) पर जीत हासिल की थी.

इस युद्ध में बड़ी संख्या में लोग मारे गए और इससे दुखी होकर अशोक ने फिर कभी युद्ध नहीं करने का फ़ैसला किया था.

उसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.

अंग्रेज़ों के शासनकाल में अशोक के शिलालेखों को पढ़ने में सफलता मिली थी.

जेम्स प्रिंसेप को सबसे पहले अशोक के स्तंभों पर लिखी खरोष्ठी और ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सफलता मिली थी.

उसके बाद ही भारत के इतिहास को नए सिरे से जानने का मौक़ा मिल पाया.

स लिपि को समझने की कोशिश में जेम्स को अपनी जान तक गंवानी पड़ी.

उनके दिमाग़ में बीमारी हो गई थी और दिमाग़ ने बनावटी व्यवहार करना शुरू कर दिया था.

बिहार में कौन-कौन की भाषाएं बोली जाती हैं?

बिहार में हिन्दी, मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका और बज्जिका सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है.

मैथिली को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया गया है.

बिहार की जनसंख्या इतनी घनी क्यों है?

बिहार

बिहार गंगा के मैदानी भाग में बसा राज्य है. यहां गंगा, कोसी, सोन, घाघरा, गंडक, बागमती, पुनपुन, बूढ़ी गंडक जैसी कई बड़ी नदियां बहती हैं.

हर साल बिहार की नदियों में आने वाली बाढ़ से इलाक़े की ज़मीन को उर्वरा शक्ति मिलती है और यहां अच्छी खेती-किसानी हो पाती है.

खेती की यह पैदावार बड़ी संख्या में लोगों का भरण-पोषण कर सकती है. इसलिए इस इलाक़े में हमेशा के बड़ी आबादी बसती है.

इसके अलावा नदियों से इलाक़े में रहने वाले लोगों को ताज़ा पानी मिल जाता है.

बिहार ग़रीब क्यों है?

खेती

बिहार भारत के ग़रीब और पिछड़े राज्यों में से एक है.

नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक़ बिहार राज्य के क़रीब 84% परिवार के ग्रामीण इलाक़ों में रहते हैं.

अर्थव्यवस्था के जानकारों के मुताबिक़ बिहार की ग़रीब की मुख्य वजहें हैं- भूमि सुधार न हो पाना. बिहार में कई इलाक़ों में ज़मीन पर चुनिंदा लोगों का मालिकाना हक़ है.

पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर विद्यार्थी विकास के मुताबिक़ राज्य में खेती उन्नत तरीकों का इस्तेमाल नहीं होना, कमज़ोर शिक्षा व्यवस्था और छोटे उद्योगों की कमी.

बिहार की राजकीय मिठाई कौन सी है?

बिहार सरकार की तरफ़ से किसी भी मिठाई को राजकीय मिठाई का दर्ज़ा नहीं दिया गया है. हालांकि ठेकुआ, खाजा, अनरसा और तिलकुट यहां के लोकप्रिय मीठे व्यंजन हैं.

बिहार का राजकीय फल क्या है?

आम

बिहार का राजकीय फल आम है. बिहार में लंगड़ा या मालदह आम को लोग खूब पसंद करते हैं. वहीं भागलपुर के इलाक़े में पाए जाने वाले ज़र्दालु आम के शौकीन दुनिया के कई हिस्सों में हैं. हाल ही में भागलपुर के ज़र्दालु आम को जीआई टैग भी दिया गया है.

बिहार में कुल कितने ज़िले हैं?

बिहार में कुल 38 ज़िले हैं.

बिहार का सबसे बड़ा ज़िला कौन है?

क्षेत्रफल के लिहाज से पश्चिमी चंपारण बिहार का सबसे बड़ा ज़िला है. यह ज़िला 5 हज़ार वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है.

जबकि जनसंख्या के आधार पर बिहार की राजधानी पटना सबसे बड़ा ज़िला है. साल 2011 की जनगणना में पटना की आबादी क़रीब 58 लाख़ थी.

नालंदा विश्वविद्यालय क्यों प्रसिद्ध था?

बिहार, नालंदा

बिहार के राजगीर में मौजूद नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में हुई थी. इसे दुनिया का पहला रिहाइशी विश्वविद्यालय कहा जाता है.

यहां एक समय में मध्य एशिया के क़रीब 10 छात्र एक साथ परिसर में रहकर पढ़ाई करते थे. बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में क़रीब 90 लाख किताबें थीं.

पांचवीं शताब्दी से बारवीं शताब्दी तक यहां वेद, तर्कशास्त्र कला, औषधि, गणित, खगोलशास्त्र, राजनीति और युद्ध के कौशल सिखाए जाते थे.

1190 के दशक में, तुर्क-अफ़गान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में आक्रमणकारियों की सैन्य टुकड़ी ने विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था. यूनेस्को ने नालंदा के खंडहरों को विस्व स्मारक के तौर पर मान्यता दी है.

बिहार के प्रसिद्ध व्यंजन क्या हैं?

लिट्टी-चोखा

बिहार का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन ‘लिट्टी-चोखा’ को माना जाता है.

इसके अलावा चने के सत्तू का शरबत और दही चूड़ा भी यहां के लोग खूब पसंद करते हैं.

बिहार के मखाने की भी मांग है. दरभंगा के मखाने की बनी खीर भी काफ़ी मशहूर हैं.

मखाने की खीर

मुज़फ़्फ़रपुर की लीची क्यों प्रसिद्ध है?

बिहार के बीचों-बीच बहने वाली गंडक नदी के उत्तर भाग में लीची का उत्पादन होता है. यहां समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली और मुज़फ़्फ़रपुर ज़िलों की कुल 32 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर लीची का उत्पादन किया जाता है.

मई के आख़िरी और जून के पहले हफ़्ते में होने वाली लीची की फ़सल से सीधे तौर पर इस क्षेत्र के 50 हज़ार से भी ज़्यादा किसान परिवारों की आजीविका जुड़ी है.

मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले की मिट्टी की वजह से यहां की लीची काफ़ी मीठी और गुदेदार होती है. यहां की शाही लीची को दुनिया के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है.

लीची

बिहार के कितने लोगों में सरकारी नौकरी को लेकर बहुत क्रेज़ क्यों है?

बिहार की गितनी एक ग़रीब राज्य के तौर पर होती है. यहां औद्योगिक विकास की कमी की वजह से रोज़गार के बहुत सीमित साधन हैं.

दूसरी तरफ़ कई इलाक़ो में ज़मीन का मालिकाना हक़ भी चुनिंदा लोगों के पास है.

ऐसे में बिहार की बड़ी आबादी के लिए सरकारी नौकरी ही भविष्य के लिए रोज़ी-रोटी के लिए सबसे सुरक्षित सहारा माना जाता है.

बिहार में प्रवासी संकट क्यों है?

बिहार में रोज़गार और छोटे उद्योगों की कमी की वजह से लोग रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों तक जाते हैं. यहां की बड़ी बड़ी आबादी के लिए राज्य में खेती, व्यवसाय या मज़दूरी के विकल्प बहुत कम हैं.

बिहार की पकड़वा शादी क्या है?

शादी

आज भी इस तरह की शादी बिहार के कई इलाक़ों में होती है. इसमें लड़की वाले योग्य लड़के की तलाश कर उसका अपहरण कर लेते हैं और ज़बरन उससे अपनी लड़की की शादी करा देते हैं.

बिहार में इसे ‘पकड़वा या पकड़ौआ शादी’ या फिर फ़ोर्स्ड मैरिज भी कहते हैं.

इस तरह की शादियों में शामिल लोग मानते हैं कि इन पकड़वा शादियों को कुछ साल के इंतज़ार के बाद मान्यता मिल जाती है.

बिहार की राजनीति में जाति व्यवस्था इतनी मज़बूत क्यों है?

अंग्रेज़ों से आज़ादी के बाद ही बिहार में भी ज़मींदारी व्यवस्था ख़त्म हो चुकी थी. लेकिन उसके बाद भी यहां पिछड़ी जातियों के लोगों को ज़मीन नहीं मिली तो वो इसके ख़िलाफ़ इकट्ठा होते रहे और अपने हक़ की लड़ाई शुरू की.

इन लोगों को लगता था था कई पीढ़ियों से उनके हक़ को दबाया गया है. इस दौरान ऊंची जाति के लोग भी अपने हितों के लिए एकजुट होने लगे और इसी से जातीय गोलबंदी शुरू हुई.

बिहार में बाढ़ की समस्या ज़्यादा क्यों है?

बिहार में बाढ़

बिहार मूल रूप से मैदानी इलाक़े वाला राज्य है. यहां गंगा, कोसी, सोन, घाघरा, गंडक, बागमती, पुनपुन, बूढ़ी गंडक जैसी कई बड़ी नदियां बहती हैं.

पहाड़ी इलाक़ों और ख़ासकर नेपाल की तरफ़ से आने वाली नदियों का पानी बिहार के मैदानी इलाक़े फ़ैल जाता है. इससे हर साल बिहार में बाढ़ की समस्या पैदा हो जाती है.

हर साल ये बाढ़ अपने रास्ते में आने वाले घर, खेत, मवेशी सभी को जलमग्न कर देती है. बाढ़ से न केवल जान माल का नुकसान होता है बल्कि इससे बड़ी तादाद में फ़सलें भी बर्बाद होती हैं.

बिहार का सबसे बड़ा त्योहार कौन सा है?

छठ

छठ बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है. हालांकि यह त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में भी मनाया जाता है.

इसके अलावा बिहार से सटे नेपाल के कुछ इलाक़ों में भी छठ का त्योहार मनाते हैं.

इन इलाक़ों के लोग जहां भी बसे हैं, वहां छठ का त्योहार भी पहुंच गया है.

चार दिनों के इस त्योहार में छठी माई और भगवान सूर्य की पूजा होती है.

संपूर्ण क्रांति क्या है?

बीबीसी स्टूडियों में जयप्रकाश नारायण

बिहार के जानेमाने राजनेता जयप्रकाश नारायण सर्वोदय और भू-दान आंदोलन की सीमित सफलता से दुखी थे और लोकतंत्र को दोष मुक्त बनाना चाहते थे.

वो धनबल और चुनाव के बढ़ते खर्च को कम करना चाहते थे ताकि जनता का भला हो सके. साथ ही जेपी का सपना एक ऐसा समाज बनाने का था जिसमें नर-नारी के बीच समानता हो और जाति का भेदभाव न हो.

ऐसे में जब गुजरात और फिर बिहार के विद्यार्थियों ने उनसे नेतृत्व संभालने को कहा था. उसके बाद जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था और 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में औपचारिक रूप से संपूर्ण क्रांति की घोषणा की.

इस क्रांति का मतलब परिवर्तन और नवनिर्माण दोनों से था.

संपूर्ण क्रांति का केंद्र बाद में बिहार बन गया इसके बाद भारत में आपातकाल की घोषणा की गई और ज़्यादातर विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया.

चंपारण सत्याग्रह क्या है?

इस तस्वीर में राजेंद्र प्रसाद, महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल एक साथ नज़र आ रहे हैं

महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण ज़िले से ही साल 1917 में अपने पहले सत्याग्रह की शुरुआत की थी.

चंपारण में नील की खेती होती थी. इन खेतों के यूरोपीय मालिक हर तरह से स्थानीय सामंती वर्ग की जगह ले चुके थे.

साल 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चंपारण के राजकुमार शुक्ल नाम के एक किसान ने महात्मा गांधी से मुलाक़ात की थी.

उनका कहना था कि वो चंपारण के किसानों से ज़बरन नील की खेती कराई जाती है, इससे किसान खाने के लिए अन्न पैदा नहीं कर पाते हैं और मिट्टी ख़राब होने से पैदावार भी घट रही है.

इसी का विरोध करने के लिए गांधी जी चंपारण गए थे और वहां सत्याग्रह की शुरुआत की थी.

मधुबनी पेंटिंग क्या है?

मधुबनी पेंटिंग

मधुबनी पेंटिंग या मिथिला पेंटिंग बिहार के मिथिलांचल की एक लोक कला है. यह मूल रूप से महिलाओं की चित्रकला शैली है.

परंपरागत तौर पर मिथिलांचल की महिलाएं यह चित्रकारी घर की दीवारों पर करती थीं, जिसमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता था. बाद में व्यावसायिक तौर पर इसे काग़ज़, कपड़े और कैनवास जैसी चीज़ों पर भी किया जाने लगा.

इस चित्रकला शैली में मूल रूप के प्रकृति और हिन्दू पौराणिक कथाओं (देवी-देवताओं) से जुड़े पात्रों की पेंटिंग बनाई जाती है.

भिखारी ठाकुर कौन थे?

भिखारी ठाकुर बिहार के लोकप्रिय रंगकर्मी और कलाकार थे. उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता था.

भिखारी ठाकुर का जन्म सारण ज़िले के कुतुकपुर गांव में 18 दिसंबर 1887 हुआ था.

उन्होंने एक दर्जन से ज़्यादा नाटक लिखे हैं. भिखारी ठाकुर ने कई नाटक और कविताएं लिखी हैं. उनका नाटक ‘बिदेसिया’ काफ़ी लोकप्रिय और मशहूर है.

शारदा सिन्हा कौन हैं?

शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा बिहार की भोजपुरी और हिंदी की लोकगायिका हैं. वह क़रीब पचास सालों से गायन के क्षेत्र में सक्रिय हैं.

शारदा सिन्हा का जन्म साल 1953 में बिहार के सुपौल के हुलास गांव में हुआ था.

छठ त्योहार के मौक़े पर शारदा सिन्हा का गाया गाना बिहार के लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है.

शारदा सिन्हा को भारत सरकार की ओर से संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री, बिहार कोकिला सम्मान से विभूषित किया गया है.

‘मैला आंचल’ क्यों प्रसिद्ध है?

उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के सबसे सफल और प्रभावी लेखकों में से एक रहे हैं. उनका जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के पूर्णिया ज़िले के ओराही हिंगना में हुआ था.

मैला आँचल को हिंदी का पहला और अपनी तरह का अंतिम आंचलिक उपन्यास होने का गौरव प्राप्त है.

इस उपन्यास के कई पात्रों के बारे में कहा जाता है वे ऐसे व्यक्तियों के जीवन से प्रभावित थे जो फ़णीश्वरनाथ रेणु के जीवन के बहुत क़रीब रहे.

मैला आंचल ने साहित्य जगत में रेणु का कद बहुत बड़ा कर दिया था. रेणु की रचना ‘मारे गए गुलफ़ाम’ पर गीतकार शैलेंद्र ने बासु भट्टाचार्य के निर्देशन में फ़िल्म ‘तीसरी क़सम’ बनाई थी.

रामधारी सिंह दिनकर कौन थे?

रामधारी सिंह दिनकर जन्म बिहार के बगूसराय ज़िले के सिमरिया घाट में हुआ था.

दिनकर हिन्दी के एक प्रमुख लेखक थे.

राष्ट्र कवि दिनकर ने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की.

कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, बापू जैसी इनकी कई रचानाएं काफ़ी लोकप्रिय हैं.

दिनकर को ‘उर्वशी’ के लिए साल 1972 का ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला था.

नागार्जुन कौन थे?

नागार्जुन

नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था. नगार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा ज़िले के तरौनी गांव में 1911 में हुआ था. नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं.

नागार्जुन को जनकवि माना जाता है. उन्होंने अपनी रचना में आम जनता के संघर्ष को उठाया है.

नागार्जुन ने अपने लेखन में बिहारी लोकभाषा के शब्दों का भी खूब इस्तेमाल किया है. उनको मैथिली काव्य संग्रह “पत्रहीन नग्न गाछ” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

नागार्जुन भारत में आपातकाल के दौर में जेल भी गए थे. उनका निधन 5 नवंबर 1998 को हुआ था.

साल 1935-36 से 90 के दशक तक के भारतीय समाज में स्वाधीनता आंदोलन से लेकर आम जनता की बदहाली, तबाही और तंगी के बीच जनता के विद्रोह, प्रतिरोध और सत्ता में संघर्ष का इतिहास नागार्जुन की कविताओं में मौजूद है.

विद्यापति कौन थे?

विद्यापति को भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा में मैथिली भाषा के सबसे बड़े कवि के रूप में जाना जाता है.

मैथिल कोकिल कवि विद्यापति, तुलसी, सूर, कबीर, मीरा सभी से पहले के कवि थे.

इनका जन्म आज के बिहार के मधुबनी ज़िले के बिसपी गाँव में 1350 के बाद माना जाता है, जबकि निधन 1440 के आसपास हुआ माना जाता है.

विद्यापति की रचनाएँ संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली तीनों में मिलती हैं.

मिथिलांचल के लोकव्यवहार में प्रयोग की जाने वाली गीतों में आज भी विद्यापति की श्रृंगार और भक्ति रस की रचनाएँ प्रमुख हैं. पदावली और कीर्तिलता विद्यापति की अमर रचनाएँ हैं.

मंडन मिश्र कौन थे?

मंडन मिश्र आठवीं सदी के महान विद्वान और दार्शनिक थे.

इनका जन्म आज के बिहार के सहरसा ज़िले के महिषी गांव में हुआ था.

मंडन मिश्र आदि शंकराचार्य के समकालीन और उनसे बड़े थे.

कहा जाता है कि दक्षिण भारत से आकर शंकराचार्य और महिषी गांव के मंडन मिश्र के बीच भारतीय दर्शन पर शास्त्रार्थ हुआ था.

पटना कलम क्या है?

पटना कलम

पटना कलम एक हाथों के बनाई जाने वाली एक चित्रकला शैली है.

इसे दुनिया की ऐसी पहली चित्रकला शैली माना जाता है जिसमें आम लोगों के जीवन को दिखाया जाता है.

इस कला का विकास भारत में मुग़लों के शासन के दौरान हुआ था. लेकिन अंग्रेज़ों के शासनकाल में यह चित्रकला ज़्यादा आगे बढ़ी.

अंग्रेज़ इस चित्रकला को बहुत पसंद करते थे और पटना आने पर यादगार के तौर पर ख़रीदते थे.

पटना कलम के लिए साल 1760 से 1947 के बीच का समय स्वर्णकाल माना जाता है.

सोनपुर मेला क्यों प्रसिद्ध है?

सोनपुर का मेला

सोनपुर मेला दुनिया के सबसे बड़े पशु मेले में से एक है.

यह मेला बिहार की राजधानी पटना के क़रीब सोनपुर शहर में गंगा और गंडक नदी के किनारे लगता है.

सोनपुर वैशाली ज़िले के हाजीपुर के पास है.

बिहार ड्राइ स्टेट क्यों है?

प्रतीकात्मक तस्वीर

बिहार सरकार ने 1 अप्रैल 2016 राज्य में शराब पर पाबंदी लगा दी थी.

बिहार में किसी भी तरह के देसी, विदेशी शराब को पीना, इसे घर में रखना या इसका कारोबार करना ग़ैर क़ानूनी है.

यहां तक कि राज्य में कोई व्यक्ति बाहर से भी शराब पीकर नहीं आ सकता है.

Leave a Reply